दिक्षा साईकिल , भंवर जी, साईकिल और पंक्चर रिपेयर। शहर से थोड़ा दूर, पंचशील नगर अजमेर। करीब 10 साल पहले, जब मोबाईल जीवन में पूर्णतया नहीं आया था। बच्चे साईकिल चलाना पसंद करते थे और रोज की छोटी मोटी रीपेयर के लिए इकट्ठा हो जाते थे।
“झिझक के पल” के बारे में मुझे अगस्त 1979 में ठीक से पता चला।मैं उस समय भचाऊ ,कच्छ, गुजरात में नौकरी पर था। जुनियर ईन्जीनियर ट्रेक। 11-8-1979 को भचाऊ से करीबन 70 कि.मी.दूर मोरबी में मच्छू बा...
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