जामुन ।करीबन् 25 साल पहले रेलवे में बाढ़ में लाईन बहुत खराब हो गई थी इसलिए मुझे भी गोवर्धन स्टेशन, मथुरा के पास, 17 दिन वेटिंग हाल में रहना पड़ा। काम करना पड़ा।आसपास जंगल में जामुन के कई पेड़ थे। ईलाके में हर गड़रिया एक प्लास्टिक थैली में जामुन लिए घूमता रहता था और खाता रहता था। एक दिन हमारी मेटेरियल ट्रेन मथुरा के बाहर खड़ी हो गई। ड्राईवर जानकार था बोला घंटों लगेंगे , आईये पास के पेड़ की छांव में बैठते हैं। वह पेड़ छोटे मीठे जामुन से लदा था। उसने उसे झझकोरा तो काफी पके जामुन निचे गिरे। मैंने जीवन में पहली बार इतने मीठे और इतने सारे जामुन एक बार में खाये। आज जामुन खाते समय याद आ गई। उस समय मेरा हेडक्वार्टर अजमेर था। गिलहरी और तोते भी थे और भरपेट जामुन खा रहे थे।

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