बजरंग गढ़। कयी बरसों तक, महीने में एक बार (कमसे कम), बजरंग गढ़, अजमेर जाता था। मंदिर पहाड़ी पर स्थित है। मुश्किल सीढियां हैं करीबन् 250। पर पहुंचने पर मन शांत होता था।कम भीड़। सौम्य वातावरण। अच्छे पुजारी। सुन्दर मूर्ति। पुजारी के रहने की जगह बहुत ही साधारण। रास्ते में दुकान से अच्छे पेड़े,लाल गुलाब की ताज़ा माला मंदिर के पास से, कभी नारियल और कभी फल भी, साथ में ले जाता था। पहाड़ पर से आनासागर झील का सुन्दर नजारा भी दिखाई देता है। परीक्षा के दिनों में कयी विद्यार्थी भी दिख जाते थे। उम्र के साथ सीढियां चढ़ना मुश्किल होने पर जाना कम होता गया। एक दो बार हनुमान जयंती पर भी गया। एक बार दीवाली के दिन जाकर फोटो खींच कर भी लाया था। अच्छी यादें।
आनासागर तो कई बार गया, पर बजरंगगढ़ नहीं। आपने बताया, धन्यवाद। कभी जाना होगा या नहीं, कह नहीं सकता। आपकी इस पोस्ट से मुझे रतलाम मण्डल का मेरा स्टेशन बजरंगगढ़ याद हो आया। उसका कोड था BJG. शायद हनुमान जी का मंदिर भी था आसपास।
“झिझक के पल” के बारे में मुझे अगस्त 1979 में ठीक से पता चला।मैं उस समय भचाऊ ,कच्छ, गुजरात में नौकरी पर था। जुनियर ईन्जीनियर ट्रेक। 11-8-1979 को भचाऊ से करीबन 70 कि.मी.दूर मोरबी में मच्छू बा...
आनासागर तो कई बार गया, पर बजरंगगढ़ नहीं। आपने बताया, धन्यवाद। कभी जाना होगा या नहीं, कह नहीं सकता।
ReplyDeleteआपकी इस पोस्ट से मुझे रतलाम मण्डल का मेरा स्टेशन बजरंगगढ़ याद हो आया। उसका कोड था BJG. शायद हनुमान जी का मंदिर भी था आसपास।