चूं चूं करती आई चिड़िया.. बहुत पुराना गीत याद आ रहा है। जी हां चिड़िया का चहकना,उछल कूद करना, पानी के बर्तन में नहाना, बाजरा या पके चावल,शौक से खाना सब याद आता है। मैं तेज गर्मी में दोपहर को याद करके उसके बर्तन में पानी बदलता था,ठंडा पानी भरता था। यह सब अजमेर घर की अच्छी यादें हैं।
“झिझक के पल” के बारे में मुझे अगस्त 1979 में ठीक से पता चला।मैं उस समय भचाऊ ,कच्छ, गुजरात में नौकरी पर था। जुनियर ईन्जीनियर ट्रेक। 11-8-1979 को भचाऊ से करीबन 70 कि.मी.दूर मोरबी में मच्छू बा...
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