एक गैंद ,10 खिलाड़ी। जी हां एक गैंद 10 खिलाड़ी को अपनी आसपास नचा रही है। पर इसके लिए उसे लात ,मार, धक्के, और कभी कभी प्यार, सहना पड़ता है। यही जीवन है।
“झिझक के पल” के बारे में मुझे अगस्त 1979 में ठीक से पता चला।मैं उस समय भचाऊ ,कच्छ, गुजरात में नौकरी पर था। जुनियर ईन्जीनियर ट्रेक। 11-8-1979 को भचाऊ से करीबन 70 कि.मी.दूर मोरबी में मच्छू बा...
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